छत्तीसगढ़: हाईकमान चाहे तो इस्तीफे को तैयार हूं, प्रियंका से मुलाकात के बाद बोले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल

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न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: सुरेंद्र जोशी
Updated Sun, 11 Jul 2021 06:27 PM IST

सार

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रविवार को दिल्ली में 10 जनपथ पर हाजिरी दी। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के निवास पर प्रियंका गांधी से मुलाकात के बाद उन्होंने मीडिया से चर्चा में यह बात कही। 
 

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल
– फोटो : twitter.com/bhupeshbaghel

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छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को लेकर सियासी अटकलें तेज हो गई हैं। रविवार को वे दिल्ली पहुंचे और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी से मुलाकात की। इसके बाद उन्होंने मीडिया से चर्चा में कहा कि यदि पार्टी हाई कमान किसी और को मुख्यमंत्री बनाना चाहता है तो वह इसके लिए तैयार हैं। 

सोनिया गांधी के निवास 10 जनपथ में प्रियंका गांधी से मुलाकात के बाद बघेल ने कहा कि उन्होंने हाई कमान के कहने पर ही छत्तीसगढ़ के सीएम पद की शपथ ली थी। यदि हाईकमान कहेगा तो वे पद छोड़ने को तैयार हैं। 

ढाई साल के सीएम यह बात कही

उन्होंने यह भी कहा कि उनकी मुलाकात सोनिया गांधी से नहीं, महासचिव प्रियंका गांधी के साथ हुई है। ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री बनाए जाने की शर्त को लेकर चल रही अटकलों पर बघेल ने कहा कि हाई कमान ने मुझे शपथ लेने को कहा था, इसलिए मैंने ली। जब वह कहेंगे कि कोई और मुख्यमंत्री बनेगा तो ऐसा ही होगा। इस तरह के समझौते (ढाई साल सीएम) गठबंधन सरकार में होते हैं।’
 

पी चुनाव की जिम्मेदारी लेने को तैयार

10 जनपथ के बाहर पत्रकारों से चर्चा में बघेल ने कहा कि वह अगले साल उत्तर प्रदेश में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में जिम्मेदारी लेने को तैयार हैं। बघेल ने कहा, ”छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के पास दो-तिहाई बहुमत है। मैंने प्रियंका गांधी जी से मुलाकात की अब पीएल पुनिया जी से मिलना है। यदि हाई कमान मुझे आने वाले यूपी चुनाव में जिम्मेदारी देता है तो मैं इसके लिए तैयार हूं।’

 

सीएम बदलने का कोई फॉर्मूला नहीं : पूनिया
हालांकि, इस बीच छत्तीसगढ़ के प्रभारी पीएल पूनिया ने एएनआई को बताया कि कुछ साल में मुख्यमंत्री बदलने का कोई फॉर्मूला नहीं है। ऐसे फॉर्मूले गठबंधन सरकार में होते हैं। छत्तीसगढ़ में तो कांग्रेस सरकार के पास तीन चौथाई बहुमत है।

भाजपा की आदत है दूसरों पर आरोप लगाना
छग के सीएम बघेल ने कहा कि भाजपा की दूसरों पर आरोप लगाने की आदत है। मोदी कैबिनेट में हालिया बदलाव इसका उदाहरण है। वैक्सीनेशन व लॉकडाउन के निर्णय पीएम मोदी ने खुद लिए, लेकिन जब वैक्सीनेशन अभियान की आलोचना होने लगी तो जिम्मेदारी हर्षवर्धन पर डाल दी गई और उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। 

 

विस्तार

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को लेकर सियासी अटकलें तेज हो गई हैं। रविवार को वे दिल्ली पहुंचे और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी से मुलाकात की। इसके बाद उन्होंने मीडिया से चर्चा में कहा कि यदि पार्टी हाई कमान किसी और को मुख्यमंत्री बनाना चाहता है तो वह इसके लिए तैयार हैं। 

सोनिया गांधी के निवास 10 जनपथ में प्रियंका गांधी से मुलाकात के बाद बघेल ने कहा कि उन्होंने हाई कमान के कहने पर ही छत्तीसगढ़ के सीएम पद की शपथ ली थी। यदि हाईकमान कहेगा तो वे पद छोड़ने को तैयार हैं। 

ढाई साल के सीएम यह बात कही

उन्होंने यह भी कहा कि उनकी मुलाकात सोनिया गांधी से नहीं, महासचिव प्रियंका गांधी के साथ हुई है। ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री बनाए जाने की शर्त को लेकर चल रही अटकलों पर बघेल ने कहा कि हाई कमान ने मुझे शपथ लेने को कहा था, इसलिए मैंने ली। जब वह कहेंगे कि कोई और मुख्यमंत्री बनेगा तो ऐसा ही होगा। इस तरह के समझौते (ढाई साल सीएम) गठबंधन सरकार में होते हैं।’

 

पी चुनाव की जिम्मेदारी लेने को तैयार

10 जनपथ के बाहर पत्रकारों से चर्चा में बघेल ने कहा कि वह अगले साल उत्तर प्रदेश में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में जिम्मेदारी लेने को तैयार हैं। बघेल ने कहा, ”छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के पास दो-तिहाई बहुमत है। मैंने प्रियंका गांधी जी से मुलाकात की अब पीएल पुनिया जी से मिलना है। यदि हाई कमान मुझे आने वाले यूपी चुनाव में जिम्मेदारी देता है तो मैं इसके लिए तैयार हूं।’

 

सीएम बदलने का कोई फॉर्मूला नहीं : पूनिया

हालांकि, इस बीच छत्तीसगढ़ के प्रभारी पीएल पूनिया ने एएनआई को बताया कि कुछ साल में मुख्यमंत्री बदलने का कोई फॉर्मूला नहीं है। ऐसे फॉर्मूले गठबंधन सरकार में होते हैं। छत्तीसगढ़ में तो कांग्रेस सरकार के पास तीन चौथाई बहुमत है।


भाजपा की आदत है दूसरों पर आरोप लगाना

छग के सीएम बघेल ने कहा कि भाजपा की दूसरों पर आरोप लगाने की आदत है। मोदी कैबिनेट में हालिया बदलाव इसका उदाहरण है। वैक्सीनेशन व लॉकडाउन के निर्णय पीएम मोदी ने खुद लिए, लेकिन जब वैक्सीनेशन अभियान की आलोचना होने लगी तो जिम्मेदारी हर्षवर्धन पर डाल दी गई और उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। 

 



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